परदे में रहने दो परदा न उठाओ
परदा जो उठ गया तो भेद खुल जाएगा
अल्लाह मेरी तौबा - अल्लाह मेरी तौबा
मेरे परदे में लाखों जलवे हें,
कैसे मुझसे नाज़र मिलोगे
जब जरा भी नाकुँब उठौंगी
याद रखना के जल ही जाओगे
परदे में रहने दो ......
हुस्न जब बेनकाब होता है
वोह समां लाजवाब होता है
ख़ुद को खुद्की ख़बर नहीं रहती -
होशवाल्ला भी होश खोता है
परदे में रहने दो ......
हाय जिसने मुझे बनाया है
वोह भी मुझको समझ न पाया है
मुझको सजदे किए हें इंसान ने
इन फरिश्तों ने सर झुकाया
परदे में रहने दो
Sorry if you dont understand Urdu. Sometimes I feel like you need to be a philologist as a prerequisite to understand anything not in your own culture.
1 comment:
:-))
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